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समुज्ज्वाला की जगह समुज्ज्वला है और पथ की जगह पंथ है
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वाला समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढदृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'
रुको न शूर साहसी !
अराति सैन्य सिंधु में ,सुबाड़वाग्नि सुवड़वाग्नि से चलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो !