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"भरिबो है समुद्र को शंबुक मे / शंकर" के अवतरणों में अंतर
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कविता समुझाइबो मूढ़न को सविता गहि भूमि पे डारिबो है । | कविता समुझाइबो मूढ़न को सविता गहि भूमि पे डारिबो है । | ||
23:50, 10 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
भरिबो है समुद्र को शम्बुक मे छिति को छंगुनी पै धारिबो है ।
बंधिबो है मृनाल सो मत्तकरी जुही फूल सोँ शैल बिदारिबो है ।
गनिबो है सितारन को कवि शंकर रज्जु सोँ तेल निकारिबो है ।
कविता समुझाइबो मूढ़न को सविता गहि भूमि पे डारिबो है ।
शंकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।