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'''शीर्षक: '''सुबह-सवेरे आती चिड़िया ढीठ चाँदनी <br> '''रचनाकार:''' [[श्याम सुन्दर अग्रवालधर्मवीर भारती]]
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सुबह-सवेरे आती चिड़िया,
आकर मुझे जगाती चिड़िया ।
ऊपर बैठ मुंडेर पर,
चीं-चीं, चूँ-चूँ गाती चिड़िया ।
जाना आज-कल तमाम रातचाँदनी जगाती है, नहीं स्कूल उसे न ही दफ़्तर जाती चिड़िया ।फिर भी सदा समय से आती,आलस नहीं दिखाती चिड़िया ।
थोड़ा सा चुग्गा लेकर भी,मुँह पर दे-दे छींटेदिन भर पंख फैलाती चिड़िया ।अधखुले झरोखे सेइससे सेहत ठीक अन्दर आ जाती है रखती ,नहीं दवाई खाती चिड़िया ।दबे पाँव धोखे से
छोटीमाथा छूनिंदिया उचटाती हैबाहर ले जाती हैघंटो बतियाती हैठंडी-सी ठंडी छत परलिपट-लिपट जाती है फिर भी बच्चो,बातें कई सिखाती चिड़िया ।विह्वल मदमाती हैरखो सदा ध्यान समय का,बावरिया बिना बात?सबको पाठ पढ़ाती चिड़िया आजकल तमाम रातचाँदनी जगाती है
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