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"एक रुबाई / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर

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15:40, 19 जुलाई 2009 का अवतरण


दागे़दिल दिलबर नहीं, सिने से फिर लिपटा हूँ क्यों?

मैं दिलेदुश्मन नहीं, फिर यूँ जला जाता हूँ क्यों?

रात इतना कहके फिर आशिक़ तेरा ग़श कर गया।

"जब वही आते नहीं , मैं होश में आता हूँ क्यों?