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"ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर
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ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना। | ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना। | ||
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मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥ | मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥ | ||
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रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को। | रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को। | ||
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कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥ | कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥ | ||
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अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस। | अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस। | ||
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जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥ | जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥ | ||
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तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा। | तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा। | ||
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हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥ | हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥ | ||
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हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े। | हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े। | ||
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तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥ | तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥ | ||
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17:49, 19 जुलाई 2009 का अवतरण
ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना।
मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥
रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को।
कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥
अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस।
जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥
तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा।
हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥
हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े।
तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥