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Kavita Kosh से
पिया घर आजा आजा, पिया घर आजा<br />
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काले काले बादल घीर घीर घिर घिर आ गये आ गये<br />ऐसे में तुम जाके जुलम्वा जुलमवा ढा गये, ढा गये<br />
सावन कैसे बीते रे<br />
मैं कहाँ तुम कहाँ, हो मोरे राजा आजा<br />