भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रुमझुम बरसे बादरवा / रतन

3 bytes removed, 12:17, 23 जुलाई 2009
पिया घर आजा आजा, पिया घर आजा<br />
<br />
काले काले बादल घीर घीर घिर घिर आ गये आ गये<br />ऐसे में तुम जाके जुलम्वा जुलमवा ढा गये, ढा गये<br />
सावन कैसे बीते रे<br />
मैं कहाँ तुम कहाँ, हो मोरे राजा आजा<br />
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,388
edits