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"दिल की बात समझने का भी मौसम होता है / प्रेम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem> दिल की बात समझने का भी मौसम होता है कच्ची इमली चखने का भी मौसम ह...)
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23:24, 30 जुलाई 2009 का अवतरण

दिल की बात समझने का भी मौसम होता है
कच्ची इमली चखने का भी मौसम होता है

वादे प्यार परखने का भी मौसम होता है
फल का कोई पकने का भी मौसम होता है

शहजादी के सपने का भी मौसम होता है
तलवारों के भिड़ने का भी मौसम होता है

यह क्या जो आया जब आया हो तुम साथ गये
बात किसी की भी रखने का भी मौसम होता है

पतझड़ में संन्यास लिया क्य्आ बाजी मार गये
अपनी जात परखने का भी मौसम होता है

उलटी प्रेम की हर शह जब तो ये अहसास हुआ
इस यौवन के ढलने का भी मौसम होता है