भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाथ आई क्या व्यस्था देखिए / प्रेम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem> हाथ आई क्या व्यवस्था देखिए आदमी पशुओं से सस्ता देखिए सिर्फ का...)
(कोई अंतर नहीं)

00:08, 31 जुलाई 2009 का अवतरण

हाथ आई क्या व्यवस्था देखिए
आदमी पशुओं से सस्ता देखिए

सिर्फ काफी ही नहीं है दौड़ना
कौन सा पकड़ा है रस्ता देखिए

क्या हुआ है हाल इस तालीम से
बालकों का भारी बस्ता देखिए

मोड़ थे इस में कहां इतने घुमाव
भूलना फिर भी यह रस्ता देखिए

इन तजुर्बों से ये मंहंगी धातुएं
हों कहीं न जाएं जस्ता देखिए

पावन पुराने ढाई अक्षर प्रेम का
हो न जाए हाल खस्ता देखिए