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"जब तवज्जह तेरी नहीं होती / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
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22:53, 31 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
जब तवज्जह तेरी नहीं होती।
ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं होती॥
पहरों रहती थी गुफ़्तगू जिन से।
उनसे अब बात भी नहीं होती॥
उनकी तस्वीर में है क्या ‘सीमाब’!
कि नज़र सैर ही नहीं होती॥