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"ख़ुदा और नाख़ुदा मिल कर डुबो दे यह तो मुमकिन है / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर

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15:21, 1 अगस्त 2009 के समय का अवतरण



खु़दा और नाख़ुदा मिलकर डुबो दें यह तो मुमकिन है।
मेरी वजहे-तबाही सिर्फ़ तूफ़ाँ हो नहीं सकता॥

दुआ जाइज़, ख़ुदा बरहक़, मगर माँगूँ तो क्या माँगूँ।
समझता हूँ कि मैं, दुनिया बदामाँ हो नहीं सकता॥