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"आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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06:13, 4 अगस्त 2009 का अवतरण

आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है

आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नहीं है


एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तों!

है इसमें जिन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है


जो चाहे समझ लीजिये, मरज़ी है आपकी

माना है बेबसी मेरी, कुछ और नहीं है


क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की

है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है