भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जानना ज़रूरी है / इन्दु जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इन्दु जैन |संग्रह= }} <poem> जब वक्त कम रह जाए तो जानना ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{KKGlobal}}
+
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=इन्दु जैन
+
|रचनाकार= इन्दु जैन
|संग्रह=
+
 
}}
 
}}
 
<poem>
 
<poem>
पंक्ति 8: पंक्ति 7:
 
तो जानना ज़रूरी है कि
 
तो जानना ज़रूरी है कि
 
क्या ज़रूरी है
 
क्या ज़रूरी है
 
  
 
सिर्फ़ चाहिए के बदले चाहना
 
सिर्फ़ चाहिए के बदले चाहना
 
पहचानना कि कहां हैं हाथ में हाथ दिए  दोनों
 
पहचानना कि कहां हैं हाथ में हाथ दिए  दोनों
 
मुखामुख मुस्करा रहे हैं कहां
 
मुखामुख मुस्करा रहे हैं कहां
 
  
 
फ़िर इन्हें यों सराहना
 
फ़िर इन्हें यों सराहना

17:44, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

जब वक्त कम रह जाए
तो जानना ज़रूरी है कि
क्या ज़रूरी है

सिर्फ़ चाहिए के बदले चाहना
पहचानना कि कहां हैं हाथ में हाथ दिए दोनों
मुखामुख मुस्करा रहे हैं कहां

फ़िर इन्हें यों सराहना
जैसे बला की गर्मी में घूंट भरते
मुंह में आई बर्फ़ की डली ।