भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नही...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है
 
आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है
  
आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नहीं है
+
आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नहीं है
  
  
 
एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तों!
 
एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तों!
  
है इसमें जिन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है
+
है इसमें जिन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है
  
  
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की
 
क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की
  
है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है
+
है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है

22:48, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है

आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नहीं है


एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तों!

है इसमें जिन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है


जो चाहे समझ लीजिये, मरज़ी है आपकी

माना है बेबसी मेरी, कुछ और नहीं है


क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की

है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है