भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है
आँसू में है खुशी मेरी, कुछ और नहीं है
एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तों!
है इसमें जिन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है
क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की
है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है