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"विदा करने निकली जब माता / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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पग से लिपट रो पड़ी बहुएं | पग से लिपट रो पड़ी बहुएं | ||
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हमने बचपन साथ बिताये | हमने बचपन साथ बिताये | ||
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ब्याह हुआ संग संग पति पाये | ब्याह हुआ संग संग पति पाये | ||
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सीता को ही दुःख दिखलाये | सीता को ही दुःख दिखलाये | ||
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कोमल चित थे जेठ हमारे | कोमल चित थे जेठ हमारे | ||
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बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे | बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे | ||
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छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे | छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे | ||
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तब वन में था बल स्वामी का | तब वन में था बल स्वामी का | ||
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सिर पर था न अयश का टीका | सिर पर था न अयश का टीका | ||
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अब तो छूट रहा भगिनी का | अब तो छूट रहा भगिनी का | ||
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07:59, 6 अगस्त 2009 का अवतरण
विदा करने निकली जब माता
पग से लिपट रो पड़ी बहुएं
न्याय यही कहलाता ?
हमने बचपन साथ बिताये
ब्याह हुआ संग संग पति पाये
सीता को ही दुःख दिखलाये
क्यों नित नए विधाता ?
कोमल चित थे जेठ हमारे
बंधु खड़े क्यों चुप्पी धारे
छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे
कोई तो समझाता !
तब वन में था बल स्वामी का
सिर पर था न अयश का टीका
अब तो छूट रहा भगिनी का
इस घर से ही नाता !