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"नहीं यदि तू भी दया करेगा / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा! | तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा! | ||
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काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह हैं प्रतिपद घेरा डाले | काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह हैं प्रतिपद घेरा डाले | ||
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मुझको भटकाने के तूने कितने मार्ग निकाले | मुझको भटकाने के तूने कितने मार्ग निकाले | ||
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सहज स्वभाव यही शिशु का तो, तिरछे पाँव धरेगा | सहज स्वभाव यही शिशु का तो, तिरछे पाँव धरेगा | ||
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इन्द्र-कुबेर-मरुत-पावक-जल तेरे जड़ अनुचर हैं | इन्द्र-कुबेर-मरुत-पावक-जल तेरे जड़ अनुचर हैं | ||
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भले-बुरे के ज्ञान-रहित, नियमों के पालक भर हैं | भले-बुरे के ज्ञान-रहित, नियमों के पालक भर हैं | ||
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इनका बस चलते तो कोई पापी नहीं तरेगा | इनका बस चलते तो कोई पापी नहीं तरेगा | ||
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तेरी क्षमा बड़ी है मेरे कर्मों के बंधन से | तेरी क्षमा बड़ी है मेरे कर्मों के बंधन से | ||
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शाप-ताप सब धुल जायेंगे अश्रु-सजल आनन से | शाप-ताप सब धुल जायेंगे अश्रु-सजल आनन से | ||
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जब तू मेरा क्रंदन सुनकर धरती पर उतरेगा | जब तू मेरा क्रंदन सुनकर धरती पर उतरेगा | ||
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तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा! | तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा! | ||
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08:01, 6 अगस्त 2009 का अवतरण
नहीं यदि तू भी दया करेगा
तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा!
काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह हैं प्रतिपद घेरा डाले
मुझको भटकाने के तूने कितने मार्ग निकाले
सहज स्वभाव यही शिशु का तो, तिरछे पाँव धरेगा
इन्द्र-कुबेर-मरुत-पावक-जल तेरे जड़ अनुचर हैं
भले-बुरे के ज्ञान-रहित, नियमों के पालक भर हैं
इनका बस चलते तो कोई पापी नहीं तरेगा
तेरी क्षमा बड़ी है मेरे कर्मों के बंधन से
शाप-ताप सब धुल जायेंगे अश्रु-सजल आनन से
जब तू मेरा क्रंदन सुनकर धरती पर उतरेगा
नहीं यदि तू भी दया करेगा
तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा!