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"यों तो इस दिल के कदरदान बहुत कम हैं आज / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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16:42, 7 अगस्त 2009 का अवतरण


यों तो इस दिल के कदरदान बहुत कम हैं आज
फिर भी लगता है कि आँखें ये तेरी नम हैं आज

दो घड़ी मुँह से लगाकर किसी ने फ़ेंक दिया
एक टूटे हुए प्याले की तरह हम हैं आज

चूक कुछ तो थी हुई राह की पहचान में ही
दूर हम प्यार की मंज़िल से हर क़दम हैं आज

उनसे मिलकर भी तड़पते हैं उनसे मिलने को
पास जितने भी ज़ियादा हैं उतने कम हैं आज

और ही उनकी निगाहों में खिल रहे हैं गुलाब
उनके होंठों पे छिड़े और ही सरगम हैं आज