भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंड...)
(कोई अंतर नहीं)

16:58, 7 अगस्त 2009 का अवतरण


कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को है
डर न, ऐ दिल! आज कोई हमसफ़र आने को है

फिर उतरने लग गयीं यादों की वे परछाइयाँ
दिल का सोया दर्द जैसे फिर उभर आने को है

फ़िक्र क्या तुझको कहाँ तक जाएगा यह कारवाँ
बाँध ले बिस्तर, मुसाफिर! तेरा घर आने को है

यह तो बतलाओ कि पहचानेंगे कैसे हम तुम्हें
लौट कर यह कारवाँ फिर भी अगर आने को है!

यह किनारा फिर कहाँ, ये साँझ, ये रंगीनियाँ
नाव यह माना कि फिर इस घाट पर आने को है

जब निगाहें मोड़कर जाते हैं दुनिया से गुलाब
कोई लाया है खबर, - 'वह बेखबर आने को है'