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"किसे देखें कहाँ देखा ना जाये / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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बस ऐ दौर--ज़मीँ देखा ना जाये<br><br>
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शब--गम का सामाँ देखा जाये
  
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पुरानी सुहब्बतें याद आती है
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भरी बरसात खाली जा रही है
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सराबर-ए-रवाँ देखा जाये
  
भरी बरसात खाली जा रही है<br>
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कहीं तुम और कहीं हम, क्या गज़ब है
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कहीं तुम और कहीं हम, क्या गज़ब है<br>
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वही जो हासिल-ए-हस्ती है नासिर
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उसी को मेहरबाँ देखा जाये</poem>
 
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वही जो हासिल-ए-हस्ती है नासिर<br>
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उसी को मेहरबान देखा ना जाये
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18:00, 10 अगस्त 2009 का अवतरण

किसे देखें कहाँ देखा न जाये
वो देखा है जहाँ देखा न जाये

मेरी बरबादियों पर रोने वाले
तुझे महव-ए-फुगाँ देखा न जाये

सफ़र है और गुरबत का सफ़र है
गम-ए-सद-कारवाँ देखा न जाये

कहीं आग और कहीं लाशों के अंबार
बस ऐ दौर-ए-ज़मीँ देखा न जाये

दर-ओ-दीवार वीराँ, शमा मद्धम
शब-ओ-गम का सामाँ देखा न जाये

पुरानी सुहब्बतें याद आती है
चरागों का धुआँ देखा न जाये

भरी बरसात खाली जा रही है
सराबर-ए-रवाँ देखा न जाये

कहीं तुम और कहीं हम, क्या गज़ब है
फिराक-ए-जिस्म-ओ-जाँ देखा न जाये

वही जो हासिल-ए-हस्ती है नासिर
उसी को मेहरबाँ देखा न जाये