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"कद्दू पे बैठी दो बच्चियाँ / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर

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वो जो कद्दू पे बैठी हैं दो बच्चियाँ
 
वो जो कद्दू पे बैठी हैं दो बच्चियाँ
 
ओ उमर तू मुझे बस वहीं छोड़ दे !
 
ओ उमर तू मुझे बस वहीं छोड़ दे !
 
 
  
 
बस समय मोड़ दे !
 
बस समय मोड़ दे !
 
 
  
 
आ उमर बैठ सीढ़ी पे बातें करें
 
आ उमर बैठ सीढ़ी पे बातें करें
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फूल बन कर कभी औ’ कभी बन घटा
 
फूल बन कर कभी औ’ कभी बन घटा
 
माँ से नज़रें बचा पेड़ पे जा चढ़ें !
 
माँ से नज़रें बचा पेड़ पे जा चढ़ें !
 
 
  
 
आ ये पग खोल दे !
 
आ ये पग खोल दे !
 
 
  
 
क्या तुझे याद है सीपियाँ बीनना
 
क्या तुझे याद है सीपियाँ बीनना
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और चुपके से दादी के जा सामने
 
और चुपके से दादी के जा सामने
 
चाचियों का बढ़ा  घूँघटा  खींचना !
 
चाचियों का बढ़ा  घूँघटा  खींचना !
 
 
  
 
पल वो अनमोल  दे !
 
पल वो अनमोल  दे !
 
 
  
 
वो जो भईया का था छोटा सा मेमना
 
वो जो भईया का था छोटा सा मेमना
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बस  मुझे तू वहीँ छोड़ आ अब उमर
 
बस  मुझे तू वहीँ छोड़ आ अब उमर
 
चारागाहों में भाता मुझे घूमना !
 
चारागाहों में भाता मुझे घूमना !
 
 
  
 
पट खुले छोड़ दे!
 
पट खुले छोड़ दे!

06:49, 12 अगस्त 2009 का अवतरण

रूप ले ले मेरा, रंग भी छीन ले
ये कमर लोच रख, ये नयन तीर ले !
वो जो कद्दू पे बैठी हैं दो बच्चियाँ
ओ उमर तू मुझे बस वहीं छोड़ दे !

बस समय मोड़ दे !

आ उमर बैठ सीढ़ी पे बातें करें
आंगनों में बिछे, काली रातें करें
फूल बन कर कभी औ’ कभी बन घटा
माँ से नज़रें बचा पेड़ पे जा चढ़ें !

आ ये पग खोल दे !

क्या तुझे याद है सीपियाँ बीनना
दूर से आम कितना पका चीन्हना
और चुपके से दादी के जा सामने
चाचियों का बढ़ा घूँघटा खींचना !

पल वो अनमोल दे !

वो जो भईया का था छोटा सा मेमना
उसकी रस्सी नरम ऊन ला गूंथना
बस मुझे तू वहीँ छोड़ आ अब उमर
चारागाहों में भाता मुझे घूमना !

पट खुले छोड़ दे!