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"बड़ा याद आता है बन के प्रवासी / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर
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अभी दाई गोबर की थपली थपेगी | अभी दाई गोबर की थपली थपेगी | ||
माँ भंसाघर में जा पूये तलेगी | माँ भंसाघर में जा पूये तलेगी | ||
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सिल-बट्टे पे चटनी पीसे सुनयना | सिल-बट्टे पे चटनी पीसे सुनयना | ||
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"अभी लीपा है घर!", उफ! बड़के भईया | "अभी लीपा है घर!", उफ! बड़के भईया | ||
चिल्ला रहे पर्स खोंसे रुपैय | चिल्ला रहे पर्स खोंसे रुपैय | ||
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आँधी में दादी हैं छ्प्पर जुड़ातीं | आँधी में दादी हैं छ्प्पर जुड़ातीं | ||
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वो मामू का तगड़ा कंधा सुहाना | वो मामू का तगड़ा कंधा सुहाना | ||
जिस पे था झूला नम्बर से खाना। | जिस पे था झूला नम्बर से खाना। | ||
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बड़ा याद आता है बन के प्रवासी | बड़ा याद आता है बन के प्रवासी |
07:00, 12 अगस्त 2009 का अवतरण
पेड़ों के झुरमुट से छन के जो आती
धवल धूप क्या याद मुझ को दिलाती
हरे खेतों की जो मड़ैया से जाता
थका-हारा राही मधुर गीत गाता
चूड़ा-दही-खाजा और कुछ बराती
अनब्याही दीदी मधुर सुर में गातीं
अभी दाई गोबर की थपली थपेगी
माँ भंसाघर में जा पूये तलेगी
सिल-बट्टे पे चटनी पीसे सुनयना
"किसी ने निकाला जो देना है बायना?"
"अभी लीपा है घर!", उफ! बड़के भईया
चिल्ला रहे पर्स खोंसे रुपैय
आँधी में दादी हैं छ्प्पर जुड़ातीं
भागे हम झटपट गिरें आम गाछी
वो मामू का तगड़ा कंधा सुहाना
जिस पे था झूला नम्बर से खाना।
बड़ा याद आता है बन के प्रवासी
नमक-तेल-मिर्ची और रोटी बासी।
०९ अक्तूबर ०८