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"मैं एहवाल-ए-दिल मर गया कहते कहते / मोमिन" के अवतरणों में अंतर

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<poem>मैं एहवाल-ए-दिल मर गया कहते कहते|
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थके तुम न "बस, बस, सुना!" कहते कहते|
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[एहवाल-ए-दिल= दिल की कहानी]
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मैं एहवाल-ए-दिल<ref>दिल की कहानी</ref> मर गया कहते कहते  
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थके तुम न "बस, बस, सुना!" कहते कहते
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मुझे चुप लगी मुद्द'आ कहते कहते,  
 
मुझे चुप लगी मुद्द'आ कहते कहते,  
रुके हैं वो जाने क्या कहते कहते|
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रुके हैं वो क्या जाने क्या कहते कहते
 
   
 
   
ज़बाँ गुंग है इश्क़ में गोश कर है,  
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ज़बाँ गुंग<ref>गूंगी</ref> है इश्क़ में गोश कर है,  
बुरा सुनते सुनते भला कहते कहते|
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बुरा सुनते-सुनते भला कहते कहते  
[गुंग=गूंगी]
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शब-ए-हिज्र <ref> जुदाई की रात </ref> में क्या हजूम-ए-बला <ref> बला की भीड़ </ref> है,  
शब-ए-हिज्र में क्या हजूम-ए-बला है,  
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ज़बाँ थक गई मरहबा <ref> एक बार और, Encore, once more </ref> कहते कहते  
ज़बाँ थक गई मरहबा कहते कहते|
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[शब-ए-हिज्र=जुदाई की रात; हजूम=भीड़]
+
[मरहबा=बेइंतहा खुशी]
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गिला हर्ज़ा-गर्दी का बेजा न था कुछ,  
 
गिला हर्ज़ा-गर्दी का बेजा न था कुछ,  
वो क्यूँ मुस्कुराये बजा कहते कहते|
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वो क्यूँ मुस्कुराये बजा कहते कहते
 
   
 
   
सद अफ़सोस जाती रही वस्ल की शब,  
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सद <ref> सौ </ref> अफ़सोस जाती रही वस्ल की शब <ref> मिलन की रात </ref>  ,  
 
"ज़रा ठहर ऐ बेवफ़ा" कहते कहते|  
 
"ज़रा ठहर ऐ बेवफ़ा" कहते कहते|  
[सद=सौ; वस्ल=मुलाक़ात; शब=रात]
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चले तुम कहाँ मैंने तो दम लिया था,  
 
चले तुम कहाँ मैंने तो दम लिया था,  
फ़साना दिल-ए-ज़ार का कहते कहते|
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फ़साना दिल-ए-ज़ार का कहते कहते
 
   
 
   
सितम हाय! गर्दूँ मुफ़स्सिल न पूछो,  
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+
कि सर फिर गया माजरा कहते कहते
 
   
 
   
 
नहीं या सनम 'मोमिन' अब कुफ़्र से कुछ,  
 
नहीं या सनम 'मोमिन' अब कुफ़्र से कुछ,  
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+
कि ख़ू <ref> आदत</ref> हो गई है सदा कहते कहते  
  
 
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18:32, 13 अगस्त 2009 का अवतरण


मैं एहवाल-ए-दिल<ref>दिल की कहानी</ref> मर गया कहते कहते
थके तुम न "बस, बस, सुना!" कहते कहते
 

मुझे चुप लगी मुद्द'आ कहते कहते,
रुके हैं वो क्या जाने क्या कहते कहते
 
ज़बाँ गुंग<ref>गूंगी</ref> है इश्क़ में गोश कर है,
बुरा सुनते-सुनते भला कहते कहते
 
शब-ए-हिज्र <ref> जुदाई की रात </ref> में क्या हजूम-ए-बला <ref> बला की भीड़ </ref> है,
ज़बाँ थक गई मरहबा <ref> एक बार और, Encore, once more </ref> कहते कहते

गिला हर्ज़ा-गर्दी का बेजा न था कुछ,
वो क्यूँ मुस्कुराये बजा कहते कहते
 
सद <ref> सौ </ref> अफ़सोस जाती रही वस्ल की शब <ref> मिलन की रात </ref> ,
"ज़रा ठहर ऐ बेवफ़ा" कहते कहते|


चले तुम कहाँ मैंने तो दम लिया था,
फ़साना दिल-ए-ज़ार का कहते कहते
 
सितम<ref> अत्याचार </ref> हाय! गर्दूँ<ref>भाग्य</ref> मुफ़स्सिल <ref> विवरण सहित </ref> न पूछो,
कि सर फिर गया माजरा कहते कहते
 
नहीं या सनम 'मोमिन' अब कुफ़्र से कुछ,
कि ख़ू <ref> आदत</ref> हो गई है सदा कहते कहते

शब्दार्थ
<references/>