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"तुहमतें चन्द अपने ज़िम्मे धर चले / ख़्वाजा मीर दर्द" के अवतरणों में अंतर
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− | + | किसलिए आये थे हम क्या कर चले | |
− | ज़िंदगी है या कोई | + | ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है |
− | हम तो इस जीने के हाथों मर चले | + | हम तो इस जीने के हाथों मर चले |
− | + | क्या हमें काम इन गुलों से ऐ सबा | |
− | चश्मे-नम | + | एक दम आए इधर, उधर चले |
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+ | दोस्तो देखा तमाशा याँ का बस | ||
+ | तुम रहो अब हम तो अपने घर चले | ||
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+ | आह!बस जी मत जला तब जानिये | ||
+ | जब कोई अफ़्सूँ तेरा उस पर चले | ||
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+ | शमअ की मानिंद हम इस बज़्म में | ||
+ | चश्मे-नम आये थे, दामन तर चले | ||
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+ | ढूँढते हैं आपसे उसको परे | ||
+ | शैख़ साहिब छोड़ घर बाहर चले | ||
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+ | हम जहाँ में आये थे तन्हा वले | ||
+ | साथ अपने अब उसे लेकर चले | ||
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+ | जूँ शरर ऐ हस्ती-ए-बेबूद याँ | ||
+ | बारे हम भी अपनी बारी भर चले | ||
साक़िया याँ लग रहा है चल-चलाव, | साक़िया याँ लग रहा है चल-चलाव, | ||
− | जब तलक बस चल सके साग़र चले | + | जब तलक बस चल सके साग़र चले |
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+ | 'दर्द'कुछ मालूम है ये लोग सब | ||
+ | किस तरफ से आये थे कीधर चले | ||
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13:08, 14 अगस्त 2009 का अवतरण
तुहमतें चन्द अपने ज़िम्मे धर चले
किसलिए आये थे हम क्या कर चले
ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है
हम तो इस जीने के हाथों मर चले
क्या हमें काम इन गुलों से ऐ सबा
एक दम आए इधर, उधर चले
दोस्तो देखा तमाशा याँ का बस
तुम रहो अब हम तो अपने घर चले
आह!बस जी मत जला तब जानिये
जब कोई अफ़्सूँ तेरा उस पर चले
शमअ की मानिंद हम इस बज़्म में
चश्मे-नम आये थे, दामन तर चले
ढूँढते हैं आपसे उसको परे
शैख़ साहिब छोड़ घर बाहर चले
हम जहाँ में आये थे तन्हा वले
साथ अपने अब उसे लेकर चले
जूँ शरर ऐ हस्ती-ए-बेबूद याँ
बारे हम भी अपनी बारी भर चले
साक़िया याँ लग रहा है चल-चलाव,
जब तलक बस चल सके साग़र चले
'दर्द'कुछ मालूम है ये लोग सब
किस तरफ से आये थे कीधर चले