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"त्रिवेणी बह निकली / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी - त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे,  गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं  
 
शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी - त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे,  गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं  
 
और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं  लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है - सरस्वती  
 
और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं  लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है - सरस्वती  
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जो गुप्त है नज़र नहीं आती;  त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है  
 
जो गुप्त है नज़र नहीं आती;  त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है  
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तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।
 
तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।
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१९७२/७३ में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे  तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं  
 
१९७२/७३ में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे  तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं  
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और अब –
 
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  त्रिवेणी को बालिग़  होते होते सत्ताईस अट्ठाईस साल लग गए ।
 
  त्रिवेणी को बालिग़  होते होते सत्ताईस अट्ठाईस साल लग गए ।

21:54, 14 अगस्त 2009 का अवतरण

त्रिवेणी बह निकली -
शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी - त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे, गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं
और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है - सरस्वती

जो गुप्त है नज़र नहीं आती; त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है

तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।

१९७२/७३ में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं

और अब –
 त्रिवेणी को बालिग़ होते होते सत्ताईस अट्ठाईस साल लग गए ।