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"कीजे न दस में बैठ कर / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर

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कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की बात चीत
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11:58, 15 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

कीजे न दस में बैठ कर आपस की बातचीत
पहुँचेगी दस हज़ार जगह दस की बातचीत

कब तक रहें ख़मोश के ज़ाहिर से आप की
हम ने बहुत सुनी कस-ओ-नाकस की बातचीत

मुद्दत के बाद हज़रत-ए-नासेह करम किया
फ़र्माइये मिज़ाज-ए-मुक़द्दस की बातचीत

पर तर्क-ए-इश्क़ के लिये इज़हार कुछ न हो
मैं क्या करूँ नहीं ये मेरे बस की बातचीत

क्या याद आ गया है "ज़फ़र" पंजा-ए-निगार
कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की बातचीत