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[[Category:ग़ज़ल]]
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जा कहियो उन से नसीम-ए-सहर मेरा चैन गया मेरी नींद गई
तुम्हें मेरी न मुझ को तुम्हारी ख़बर मेरा चैन गया मेरी नींद गई
ज कहियो उन से नसीम-ए-सहर मेरा चैन गया मेरी नींद गई <br>न हरम में तुम्हारे यार पता न सुराग़ देर में है मिलता तुम्हें मेरी न मुझ को तुम्हारी ख़बर कहाँ जा के देखूँ मैं जाऊँ किधर मेरा चैन गया मेरी नींद गई <br><br>
न हरम में तुम्हारे यार पता न सुराग़ दैर में है मिलता <br>ऐ बादशाह्-ए-ख़बाँ-ए-जहाँ तेरी मोहिनी सुरत पे क़ुर्बाँ कहाँ जा के देखूँ की मैं जाऊँ किधर ने जो तेरी जबीं पे नज़र मेरा चैन गया मेरी नींद गई <br><br>
ऐ बादशाह्हुई बद-ए-ख़बाँबहारी चमन में अयाँ गुल बुटी में बाक़ी रही न फ़िज़ा मेरी शाख़-ए-जहाँ तेरी मोहिनी सुरत पे क़ुर्बाँ <br>की मैं ने जो तेरी जबीं पे नज़र उम्मीद न लाई सँवर मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
हुई बदऐ बर्क़-ए-बहारी चमन में अयाँ गुल बुटी में बाक़ी रही तजल्लि बहर-ए-ख़ुदा फ़िज़ा <br>जला मुझे हिज्र में शम्मा सा मेरी शाख़ज़ीस्त है मिस्ल-ए-उम्मीद न लाई सँवर चिराग़-ए-सहर मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
ऐ बर्क़कहता है यही रो-ए-तजल्लि बहररो के "ज़फ़र" मेरी आह-ए-ख़ुदा रसा का हुआ जला मुझे असर तेरे हिज्र में शम्मा सा <br>मेरी ज़ीस्त है मिस्ल-ए-चिराग़-ए-सहर मौत न आई अभी मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
कहता है यही रो रो कहना था शेरों के आज "ज़फ़र" मेरी आह-ए-रसा का में हुआ न असर <br>तेरी तेरे हिज्र में मौत न आई अभी मगर मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
यही कहना था शेरो के आज "ज़फ़र" मेरी आह-ए-रसा में हुआ न असर <br/poem>तेरे हिज्र में मौत न आई मगर मेरा चैन गया मेरी नींद् गई
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