भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सौंह कियें ढरकौहे से नैन / बिहारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(कोई अंतर नहीं)

18:24, 4 अक्टूबर 2006 का अवतरण

लेखक: बिहारी

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*


सौंह कियें ढरकौहे से नैन, टकी न टटै हिलकी हलियै।

मुँह आगै हू आये न सूझयौ कछू ,सु कहयौ कछु ये सुति साँभल ए।

भौर ते साँझि भई न अजौं, घरि भतिर बाहर कौ ढलिए।

रहे गेह की देहरी ठाढ़े दोऊ, उर लागी दुहून चलौ चलिए।।