भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है / प्रेम नारायण 'पंकिल'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल' |संग्रह= }} Category:कविता <poem> सुध...) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल' | |रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल' | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=बावरिया बरसाने वाली /प्रेम नारायण 'पंकिल' |
}} | }} | ||
− | [[Category: | + | [[Category:छंद]] |
<poem> | <poem> | ||
− | |||
सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है । | सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है । | ||
जिसकी असीम वेदना विकल हो निशा निरंतर रोती है। | जिसकी असीम वेदना विकल हो निशा निरंतर रोती है। |
18:44, 16 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है ।
जिसकी असीम वेदना विकल हो निशा निरंतर रोती है।
आया न अभी ऋतुराज तभीं होती उजाड़ क्यों वनस्थली।
क्यों नंदनवन का प्रिय-परिमल बांटता प्रभंजन गली-गली ?
स्वप्निल निशि में क्यों चीख-चीख उठती न कोकिला सोती है?
निष्कंप दीप लौ पर पतंग बालिका कलेवर धोती है।"
बस टुकटुक मुख देखती रही बावरिया बरसाने वाली
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवनवन के वनमाली॥ १५॥