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"कुछ क़तआत / नज़्म तबा तबाई" के अवतरणों में अंतर
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कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का। | कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का। |
20:29, 16 अगस्त 2009 का अवतरण
कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का।
लगाकर आग देखेंगे तमाशा अब नशेमन का॥
अदाये-सादगी में कंघी-चोटी ने ख़लल डाला।
शिकन माथे पे, अबरू में गिरह, गेसू में बल डाला॥
आ गया फिर रंमज़ाँ, क्या होगा।
हाय ऐ पीरेमुग़ाँ! क्या होगा॥
अहसान ले न हिम्मते-मर्दाना छोड़कर।
रस्ता भी चल तो सब्ज़ये-बेगाना छोड़कर॥