भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तालिबे-दीद पर आँच आये यह मंज़ूर नहीं / सफ़ी लखनवी" के अवतरणों में अंतर