भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=बहादुर शाह ज़फ़र]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह=}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बहादुर शाह ज़फ़र]]<poem>पसे-मर्ग मेरी मजार पर जो दिया किसी ने जला दिया ।उसे आह! दामन-ए-बाद ने सरेशाम ही से बुझा दिया ।।
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* पसे-मर्ग मेरे मजार पर जो दिया किसी ने जला दिया । उसे आह! दामने-बाद ने सरेशाम ही से बुझा दिया ।।   मुझे दफ़्न करना तू जिस घड़ी, तो ये उससे कहना कि परी, वो जो तेरा आशिक़ेआशिक़-ए-जार था, तहे तह-ए-ख़ाक उसको दबा दिया ।   दमे-ग़ुस्ल से मेरे पेशतर उसे हमदमों ने ये सोचकर,
दम-ए-ग़ुस्ल से मेरे पेशतर उसे हमदमों ने ये सोचकर,
कहीं जावे उसका दिल दहल, मेरी लाश पर से हटा दिया ।
 
मेरी आँख झपकी थी एक पल, मेरे दिल ने चाहा कि उसके चल,
 दिले दिल-ए-बेक़रार ने ओ मियाँ! वहीं चुटकी लेके जगा दिया ।  
मैंने दिल दिया, मैंने जान दी, मगर आह तूने न क़द्र की,
 
किसी बात को जो कभी कहा, उसे चुटकियों से उड़ा दिया ।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits