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"या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर

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21:19, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता
या मेरा ताज गदाया न बनाया होता

ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ न बनाया होता

नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता

अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने
क्यों ख़िरद्मन्द बनाया न बनाया होता

शोला-ए-हुस्न चमन् में न दिखाया उस ने
वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता

रोज़-ए-ममूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है 'ज़फ़र'
ऐसी बस्ती से तो वीराना बनाया होता