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"हमने दुनिया में आके क्या देखा / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर
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21:30, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
हमने दुनिया में आके क्या देखा
देखा जो कुछ सो ख़्वाब-सा देखा
है तो इन्सान ख़ाक का पुतला
लेक पानी का बुल-बुला देखा
ख़ूब देखा जहाँ के ख़ूबाँ को
एक तुझ सा न दूसरा देखा
एक दम पर हवा न बाँध हबाब
दम को दम भर में याँ हवा देखा
न हुये तेरी ख़ाक-ए-पा हम ने
ख़ाक में आप को मिला देखा
अब न दीजे "ज़फ़र" किसी को दिल
कि जिसे देखा बेवफ़ा देखा