भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आशीर्वादों के बावजूद / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत | संग्रह=शब्दों के संपुट में / ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:22, 22 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

इच्छाओं की गगनाकार बाल्टियों को
हव में लटका कर
मैं
भरता रहा उन्हें सदा
अनंत सम्भावनाओं भरे
अनगिनत शब्द स्रोतों से
ताकि आवश्यकता के समय
(कहीं भी ज्वाला फूट पढ़ने पर)
उन्हें प्रयुक्त कर सकूँ
सागर के ज्वार-भाटे की तरह
तट की सारी बलूसमेत


या भर सकूँ उन्हें
कारतूसों की जगह अपनी जेबों में
(धर्म क्षेत्र में उतरने के समय)

किंतु शब्द जो केवल मौकापरस्त निकले
अब इच्छाओं को महत्वकाँक्षी कह
हर मंत्र को तंत्र की तरह प्रयुक्त करके
केवल एक ही ज़िद पर अड़े है कि

जब तलक शिव के साथ
शव की अराधना नहीं होगी
वे किसी भी अनुष्ठान में
कल्याण को जीवित नहीं होने देंगे
पुरोहितों के सैंक़ड़ों
आशीर्वादों की बावजूद।