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"सुगुन सुग्गा / सरोज परमार" के अवतरणों में अंतर

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03:47, 22 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

इस आँगन से उस आँगन तक
इठलाता,गाता,चुगता चुग्गा ।
पँख पसारने का छल करता सा
लो! उड़ गया सुगुन सुग्गा !
इस आँग से उस आँगन तक
कोच भरी है
विष्ठा पसरी है
किवाड़ों ने हँसते रोते बसा लिया है
चिमगादड़ की जोड़ी को
जो स्याह रातों में
इस आँगन से उस आँगन तक
मंडरा-मंडरा,टकरा-टकरा
उल्टा लटक जाती है
सूरज उगने से पहले ।