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"ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ" के अवतरणों में अंतर
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01:33, 23 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
ख़ामोश आदमी का चेहरा
बहुत ख़तरनाक
बारूद की तरह
बोलेगा तो फटेगा
ख़ामोश आदमी
एक ज्वालामुखी
ख़ामोश आदमी
अपने भीतर छिपाए रखता
सभी दुख
सभी दर्द
अवसाद
अपमान
कहेगा
तो दूर तक कौंध जाएगा।
ख़ामोश आदमी
गहरा काला बादल
बरसेगा तो तोड़ देगा तटबन्ध
ख़मोश आदमी को चाहिए
माटी की सौंधी ख़ुश्बू
गुनगुनी धूप।