भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शिमला की सड़कें / सुदर्शन वशिष्ठ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:41, 23 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

एक
शिमला की ठण्डी सड़कें
कभी हुआ करतीं थीं सुनसान
मिल जाता जहाँ
इक्का दुक्का प्रेमी जोड़ा
आहट से उड़ते पक्षी
अब उड़ते हैं आकाश में
कब आहट हटे
वे नीचे आएँ।

दो

दूर दूर तक मशहूर थीं
शिमला की ठण्डी सड़कें
प्रेमिका गातीः
सोहणी सोहणी शिमले से सड़का ज़िन्दे................
...........काली घघरी लओयाँ हो...................।

तीन

पक्की मजबूत और चिकनी
हुआ करतीं थीं
शिमला की सड़कें
जिन पर फिसलते मन
और गाड़ियाँ
अब मन डोलने लगे और गाड़ी लगे खड़खड़ाने
समझो शिमला आ गया।