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"ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर

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ये सुर्मई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमनाहटें
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ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमनाहटें
 
मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।
 
मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।
  
इस कायनाते - ग़म की फ़सुर्दा फ़ज़ाओं में
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इस कायनाते-ग़म की फ़सुर्दा फ़ज़ाओं में
 
बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें।
 
बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें।
  
ऐ जिस्मे - नाज़नीने - निगारे - नज़रनवाज़
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ऐ जिस्मे-नाज़नीने-निगारे-नज़रनवाज़
शुब्‍हे - शबे - विसाल तेरी मलगजाहटें।
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शुब्‍हे-शबे-विसाल तेरी मलगजाहटें।
  
पड़ती है आसमाने - मुहब्बत प छूट सी
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पड़ती है आसमाने-मुहब्बत प' छूट सी
बल बे जबीने-नाज़ तेरी जगमगाहटें।
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बल-बे-जबीने-नाज़ तेरी जगमगाहटें।
  
 
चलती जब नसीमे-ख़याले-ख़रामे-नाज़
 
चलती जब नसीमे-ख़याले-ख़रामे-नाज़
 
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें।
 
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें।
  
चश्मे - सियह तबस्सुमे-पिनहाँ लिये हुये
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चश्मे -सियह तबस्सुमे-पिनहाँ लिये हुये
 
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें।
 
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें।
 
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20:30, 23 अगस्त 2009 का अवतरण

  
ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमनाहटें
मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।

इस कायनाते-ग़म की फ़सुर्दा फ़ज़ाओं में
बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें।

ऐ जिस्मे-नाज़नीने-निगारे-नज़रनवाज़
शुब्‍हे-शबे-विसाल तेरी मलगजाहटें।

पड़ती है आसमाने-मुहब्बत प' छूट सी
बल-बे-जबीने-नाज़ तेरी जगमगाहटें।

चलती जब नसीमे-ख़याले-ख़रामे-नाज़
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें।

चश्मे -सियह तबस्सुमे-पिनहाँ लिये हुये
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें।