भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"न ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो / सफ़ी लखनवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सफ़ी लखनवी }} <poem> न ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो! जब ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:59, 23 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
न ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो!
जब आवाज़ दूँ तुम भी आवाज़ देना॥
ग़ज़ल उसने छेडी़ मुझे साज़ देना।
ज़रा उम्रे-रफ़्ता की आवाज़ देना॥