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महकी बेला | महकी बेला |
17:56, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
महकी बेला
नागफनी से
बिंधकर भी महकी बेला
तेज धूप है
चलती गर्म हवा भी है
पर, इसकी परवाह न इसे
जरा भी है
हरसिंगार से
आंख मिला टहकी बेला
घाम, गीत
वर्षा का डर है इसे नहीं
गीतों जैसा हासिल
स्वर है इसे नहीं
पंख बिना भी
चढ़ छत पर चहकी बेला
खुशबु इसकी
दबे पांव आती घर में
रच देती आसंग आंख के
काजर में
फिर भी ढूंढ
नहीं पायी गंहकी बेला