भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मृदु संगीत कला का / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=नचिकेता
 
|रचनाकार=नचिकेता
 
}}
 
}}
[[Category:गीत]]
+
{{KKCatNavgeet}}
  
  

17:56, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण


जब-जब मैंने

तेरे मन के अंदर

झाँका है


वहाँ मिला है मुझे

प्यार का पसरा सहज उजास

हर मौसम में खिलनेवाला

टुहटुह लाल पलास

गूंज रहा

कण-कण में मृदु संगीत

कला का है


वहाँ मिली

बच्चों की जिद, कठुआई किलकारी

घुटन, अवसाद, गहन-चिंतन

बदहाली दुश्वारी

खाली पेट

मगर होंठों पर लिखा न

फाका है


मेरी खातिर

रची-बसी हर जगह दुआएँ हैं

श्रम की थकन मिटानेवाली

नर्म हवाएँ हैं

मुझे लगा

यह ही सच्चा अहसास

खुदा का है