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दीदनी है नरगिसे - ख़ामोश का तर्ज़े - ख़िताब
गह सवाल अन्दर सवालो - गह जवाब अन्दर जवाब।
जौहरे - शमशीर क़ातिल हैं कि हैं रगहा - ए - नाब
साकिया तलवार खिचती है कि खिचती है शराब।
इश्क़ के आगोश में बस इक दिले-ख़ानाख़राब
हुस्न के पहलू में सदहा आफ़्ताबो - माहताब।
सरवरे- कुफ़्फ़ार है इश्क़ और अमीरुल-मोमनीं
काबा-ओ-बुतख़ाना औक़ाफ़े - दिले - आलीजनाब।
राज़ के सेगे में रक्खा था मशीअत ने जिन्हें
वो हक़ायक़ हो गये मेरी ग़ज़ल में बेनक़ाब।
एक गँजे-बेबहा है, अहले-दिल को उनकी याद
तेरे जौरे - बे नहायत, तेरे जौरे - बेहिसाब।
आदमीयों से भरी है, ये भरी दुनिया मगर
आदमी को आदमी होता नहीं है दस्तयाब।