भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरे रक्त के आईने में / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
कुमार मुकुल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल |संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुक...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:52, 25 अगस्त 2009 का अवतरण
मेरे रक्त के आईने में
खुद को सँवार रही है वह
यह सुहाग है उसका
इसे अचल होना चाहिए
जब कोई चंचल किरण
कँपाती है आईना
उसका वजूद हिलने लगता है
जिसे थामने की कोशिश में
वह घंघोल डालती है आईना
हिलता वजूद भी फिर
गायब होने लगता है जैसे।