"ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | ये सुरमई | + | ये सुरमई फ़ज़ाओं१ की कुछ कुनमुनाहटें |
− | मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें। | + | मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।* |
− | इस कायनाते-ग़म की | + | इस कायनाते-ग़म की फ़सुर्दा२ फ़ज़ाओं में |
बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें। | बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें। | ||
− | ऐ जिस्मे - नाज़नीने - निगारे - | + | ऐ जिस्मे - नाज़नीने - निगारे -नज़रनवाज़३ |
शुब्हे - शबे - विसाल तेरी मलगजाहटें। | शुब्हे - शबे - विसाल तेरी मलगजाहटें। | ||
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बल - बे - जबीने -नाज़ तेरी जगमगाहटें। | बल - बे - जबीने -नाज़ तेरी जगमगाहटें। | ||
− | चलती जब नसीमे - ख़याले- ख़रामे- | + | चलती जब नसीमे - ख़याले- ख़रामे-नाज़४ |
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें। | सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें। | ||
− | चश्मे -सियह तबस्सुमे - | + | चश्मे -सियह तबस्सुमे - पिनहाँ५ लिये हुये |
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें। | पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें। | ||
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और उसकी पहली सुब्ह की वो रसमसाहटें। | और उसकी पहली सुब्ह की वो रसमसाहटें। | ||
− | साजे - जमाल के नवाहा - ए - | + | साजे - जमाल के नवाहा - ए - सर्मदी६ |
जोबन तो वो फ़रिस्ते सुने गुनगुनाहटें। | जोबन तो वो फ़रिस्ते सुने गुनगुनाहटें। | ||
− | आज़ुर्दगी - ए - | + | आज़ुर्दगी - ए - हुस्न७ भी किस दर्जा शोख़ है |
अश्कों में तैरती हुई कुछ मुस्कुराहटें। | अश्कों में तैरती हुई कुछ मुस्कुराहटें। | ||
− | होने लगा है ख़ुद से | + | होने लगा है ख़ुद से करीं८, ऐ शबे-अलम९ |
मैं पा रहा हूँ हिज्र में कुछ अपनी आहटें। | मैं पा रहा हूँ हिज्र में कुछ अपनी आहटें। | ||
मेरी ग़ज़ल की जान समझना उन्हे ’फ़िराक़’ | मेरी ग़ज़ल की जान समझना उन्हे ’फ़िराक़’ | ||
शम्ए - खयाले - यार की ये थरथराहटें। | शम्ए - खयाले - यार की ये थरथराहटें। | ||
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+ | * गोर्की की सुप्रसिद्ध कहानी ’छब्बिस आदमी और एक लड़की’ पढ़कर - ’फ़िराक़’ | ||
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+ | १ - वायुमण्डल, २ - उदास, ३ - नज़र को भला लगने वाले प्रिय का कोमल शरीर, ४- प्रेमिका के चलने की वायु की कल्पना, ५- छिपी मुस्कुराहट, | ||
+ | ६- दैवी आवाजें, ७ - सौन्दर्य का दुःख (प्रेमिका की उदासी), ८- निकट, ९ - दुख की रात | ||
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23:29, 25 अगस्त 2009 का अवतरण
ये सुरमई फ़ज़ाओं१ की कुछ कुनमुनाहटें
मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।*
इस कायनाते-ग़म की फ़सुर्दा२ फ़ज़ाओं में
बिखरा गये है आ के वो कुछ मुस्कुराहटें।
ऐ जिस्मे - नाज़नीने - निगारे -नज़रनवाज़३
शुब्हे - शबे - विसाल तेरी मलगजाहटें।
पड़ती है आसमाने - मुहब्बत प छूट सी
बल - बे - जबीने -नाज़ तेरी जगमगाहटें।
चलती जब नसीमे - ख़याले- ख़रामे-नाज़४
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें।
चश्मे -सियह तबस्सुमे - पिनहाँ५ लिये हुये
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें।
जुम्बिश में जैसे शाख़ हो गुलहा-ए-नग़्मा की
इक पैकरे - जमील की ये लहलहाहटें।
झोकों की नज़्र है, चमने - इन्तिज़ारे -दोस्त
बादे - उम्मीदो - बीम की ये सनसनाहटें।
हो सामना अगर तो ख़िजिल हो निगाहे-बर्क़
देखी हैं अज़्व - अज़्व में वो अचपलाहटें।
किस देस को सिधार गयीं ऐ जमाले - यार
रंगीं लबों प खेल के कुछ मुस्कुराहटें।
रुख़सारे-तर से ताज़ा हो बाग़े-अदन की याद
और उसकी पहली सुब्ह की वो रसमसाहटें।
साजे - जमाल के नवाहा - ए - सर्मदी६
जोबन तो वो फ़रिस्ते सुने गुनगुनाहटें।
आज़ुर्दगी - ए - हुस्न७ भी किस दर्जा शोख़ है
अश्कों में तैरती हुई कुछ मुस्कुराहटें।
होने लगा है ख़ुद से करीं८, ऐ शबे-अलम९
मैं पा रहा हूँ हिज्र में कुछ अपनी आहटें।
मेरी ग़ज़ल की जान समझना उन्हे ’फ़िराक़’
शम्ए - खयाले - यार की ये थरथराहटें।
- गोर्की की सुप्रसिद्ध कहानी ’छब्बिस आदमी और एक लड़की’ पढ़कर - ’फ़िराक़’
१ - वायुमण्डल, २ - उदास, ३ - नज़र को भला लगने वाले प्रिय का कोमल शरीर, ४- प्रेमिका के चलने की वायु की कल्पना, ५- छिपी मुस्कुराहट,
६- दैवी आवाजें, ७ - सौन्दर्य का दुःख (प्रेमिका की उदासी), ८- निकट, ९ - दुख की रात