भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इतिहास / सत्यपाल सहगल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यपाल सहगल |संग्रह=कई चीज़ें / सत्यपाल सहगल }} <po...)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:49, 28 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

उसका बुख़ार नहीं जाता वह लम्बे समय से बीमार है
ना माओं की गिनती है न बेटों की
साईकिल और कारें हड़बड़ाई जाती हैं रेहड़ियाँ,आदमी
दूसरे आदमी को धक्का देता
खून से सभी को कै आती है पर ज़िन्दगी की छुरी
ज़्यदा कातिल है
सब कुछ के बावजूद दुनिया धुरी पर घूमती है
सब कुछ के बावजूद दुनिया धुरी पर घूमेगी
सड़कों और खेतों में लाशें हैं मुकाबले और मुठभेड़े
रोमाँचक कथा दर कथा
हत्या से मिलती है हत्या डर कर भागते हुए
यह बसंत है
प्यार अँगड़ाई लेता है बेशर्मी और निर्ममता से
समय रुक चुका है
पर उसकी फसल बिल्कुल पकी खड़ी है दराती वाले
हाथों के इंतज़ार में