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"सरक़े का कोई शेर ग़ज़ल में नहीं रक्खा / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

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20:28, 29 अगस्त 2009 का अवतरण

  

सरके का कोई शेर गजल में नहीं रक्खा
हमने किसी लौंडी को महल में नहीं रक्खा

मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले
मिट्टी को किसी ताजमहल में नहीं रक्खा