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"सरक़े का कोई शेर ग़ज़ल में नहीं रक्खा / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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सरके का कोई शेर गजल में नहीं रक्खा
हमने किसी लौंडी को महल में नहीं रक्खा
मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले
मिट्टी को किसी ताजमहल में नहीं रक्खा