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"ख़बर मिली है जब से ये कि उनको हमसे प्यार है / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
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02:54, 30 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
ख़बर मिली है जब से ये कि उनको हमसे प्यार है
नशे में तब से चांद है, सितारों में ख़ुमार है
मैं रोऊँ अपने कत्ल पर, या इस ख़बर पे रोऊँ मैं
कि कातिलों का सरगना तो हाय मेरा यार है
ये जादू है लबों का तेरे या सरूर इश्क का
कि तू कहे है झूठ और हमको ऐतबार है
सुलगती ख़्वाहिशों की धूनी चल कहीं जलाएँ और
कुरेदना यहाँ पे क्या, ये दिल तो जार-जार है
ले मुट्ठियों में पेशगी महीने भर मजूरी की
वो उलझनों में है खड़ा कि किसका क्या उधार है
बनावटी ये तितलियाँ, ये रंगों की निशानियाँ
न भाए अब मिज़ाज को कि उम्र का उतार है
भरी-भरी निगाह से वो देखना तेरा हमें
नसों में जलतरंग जैसा बज उठा सितार है
तेरे वो तीरे-नीमकश में बात कुछ रही न अब
ख़लिश तो दे है तीर, जो जिगर के आर-पार है