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"हाले-ग़म उन को सुनाते जाइए / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर

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19:05, 30 अगस्त 2009 का अवतरण

हाल-ए-गम उन को सुनाते जाइए
शर्त ये है के मुस्कुराते जाइए

आप को जाते न देखा जाएगा
शम्मा को पहले बुझाते जाइए

शुक्रिया लुत्फ़ -ए -मुसलसल का मगर
गाहे-गाहे दिल को दुखाते जाइए

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए

रोशनी महदूद हो जिन की 'खुमार'
उन चरागों को बुझाते जाइए