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"हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर

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19:23, 30 अगस्त 2009 का अवतरण

हुस्न जब मेहरबान हो तो क्या कीजिए
इश्क की मगफिरत<ref>माफ़ी</ref> की दुआ कीजिए

इस सलीके से उनसे गिला कीजिए
जब गिला कीजिए, हंस दिया कीजिए

दूसरों पर अगर तबसरा<ref>बुराई</ref> कीजिए
सामने आईना रख लिया कीजिए

आप सुख से हैं तर्क-ऐ-ताल्लुक<ref>अलग होना</ref> के बाद
इतनी जल्दी न ये फैसला कीजिए

कोई धोखा न खा जाए मेरी तरह
ऐसे खुल के न सबसे मिला कीजिए

शब्दार्थ
<references/>