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"टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली / मीना कुमारी" के अवतरणों में अंतर
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विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) |
(जिसका जितना आँचल था, मुझे ये याद आ रहा था. सो बदल दिया.) |
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टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली | टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली | ||
− | + | जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली | |
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी | रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी | ||
आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली | आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली | ||
− | जब चाहा दिल को समझें, हँसने की | + | जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी |
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली | जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली | ||
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होंठों तक आते आते, जाने कितने रूप भरे | होंठों तक आते आते, जाने कितने रूप भरे | ||
− | जलती-बुझती आँखों में, सादा सी जो बात मिली | + | जलती-बुझती आँखों में, सादा-सी जो बात मिली |
12:12, 31 अगस्त 2009 का अवतरण
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी
आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली
जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली
मातें कैसी घातें क्या, चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली
होंठों तक आते आते, जाने कितने रूप भरे
जलती-बुझती आँखों में, सादा-सी जो बात मिली